Jalyukt Shivar 2.0 \जलयुक्त शिवार 2.0

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Jalyukt Shivar 2.0: A Comprehensive Stride Towards Water Security in Maharashtra:

In a bid to tackle water scarcity and build on the success of the initial project launched in 2014, the Maharashtra Government introduced the Jalyukt Shivar 2.0 Scheme during a Cabinet meeting on December 13, 2022. The primary objective of this initiative is to make 5000 villages in the state free of water scarcity each year, reflecting a commitment to sustainable water management. This extended version of the project integrates and converges various schemes from different departments, pulling funds from both central and state resources.

Background:

The Jalyukt Shivar project was originally launched in 2014 with the ambitious goal of making Maharashtra a drought-free state by 2019. While the initial project may not have achieved its target entirely, the lessons learned and experiences gained have paved the way for the more comprehensive Jalyukt Shivar 2.0 Scheme.

Features of Jalyukt Shivar 2.0:

  1. Integration and Convergence: Jalyukt Shivar 2.0 is a collaborative effort that integrates and converges various schemes implemented by different departments. This approach ensures a holistic and synergistic effort towards water conservation.
  2. Funding Strategy: The project adopts a unique funding strategy by pulling resources from both central and state schemes. This financial collaboration enhances the project’s capacity to address the multifaceted challenges associated with water scarcity.
  3. Technological Intervention: A mobile app is employed to map project locations, and monitoring is facilitated through the Maharashtra Remote Sensing Applications Centre (MRSAC) web portal. This technological integration enhances transparency, accountability, and real-time tracking of project activities.

Awareness Campaign:

Creating awareness is a vital component of the Jalyukt Shivar 2.0 Scheme. The government employs various methods to disseminate information:

  1. Gram Sabha and Village Meetings: Local engagement through Gram Sabha and village meetings serves as a grassroots approach to disseminate information and garner community support.
  2. Creative Competitions: Morning rallies, essay competitions, and drawing competitions are organized to engage and educate the younger population, ensuring a more sustainable understanding of water conservation practices.
  3. Distribution of Educational Material: Booklets and leaflets regarding Jalyukt Shivar 2.0 are distributed to households, schools, and community centers. This educational material serves as a quick reference guide, promoting a deeper understanding of the project’s objectives.
  4. Media Outreach: The government leverages press and TV to effectively communicate with a broader audience. This includes broadcasting success stories, progress updates, and the impact of the project on local communities.

Criteria for Village Selection:

The selection process for villages to be included in Jalyukt Shivar 2.0 is meticulous and considers various factors:

  1. Tanker-fed Villages: Villages that have relied on tanker water supply for at least one year in the last five years are given priority. This ensures that areas facing acute water scarcity receive immediate attention.
  2. Watershed Villages: Selection includes villages situated in watershed areas to optimize water catchment and storage. Additionally, villages that have experienced water scarcity at least once in the last five years are considered for inclusion.
  3. Suicide-Prone Villages: Special attention is given to villages with a history of farmer suicides, addressing not only water scarcity but also the socio-economic challenges faced by these communities.
  4. People’s Participation: Villages demonstrating active community participation and leadership in water conservation initiatives are given precedence. This approach fosters a sense of ownership and sustainability within the community.

Conclusion:

Jalyukt Shivar 2.0 emerges as a dynamic and inclusive initiative that builds on past experiences and embraces a collaborative, multi-faceted approach to water conservation. By integrating technology, fostering community engagement, and addressing specific criteria for village selection, the project aims to make significant strides towards ensuring water security for Maharashtra’s villages. As the scheme unfolds, it stands as a beacon of hope, demonstrating that sustainable water management is achievable through concerted efforts, community involvement, and innovative strategies.

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जलयुक्त शिवार 2.0: महाराष्ट्र में जल सुरक्षा की ओर महत्वपूर्ण कदम

2014 में शुरू हुए पहले परियोजना के सफलता का उपयोग करके, महाराष्ट्र सरकार ने 13 दिसंबर, 2022 को मंत्रिमंडल बैठक के दौरान जलयुक्त शिवार 2.0 योजना की शुरुआत की। इस पहल का मुख्य उद्देश्य हर वर्ष राज्य के 5000 गाँवों को जल की कमी से मुक्त करना है, जो सतत जल प्रबंधन के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस परियोजना का विस्तारित संस्करण, विभिन्न विभागों से विभिन्न योजनाओं को एकीकृत और मेल करता है, जो केंद्रीय और राज्य संसाधनों से धन इकट्ठा करता है।

पृष्ठभूमि:

जलयुक्त शिवार परियोजना को महाराष्ट्र को 2019 तक एक सूखमुक्त राज्य बनाने का उत्कृष्ट लक्ष्य प्राप्त था। हालांकि प्रारंभिक परियोजना ने अपना लक्ष्य पूरा नहीं किया हो सकता, इसने जो शिक्षाएँ दी हैं और प्राप्त अनुभवों ने जलयुक्त शिवार 2.0 योजना के लिए मार्गदर्शन किया है।

जलयुक्त शिवार 2.0 की विशेषताएं:

  1. एकीकरण और समरसता: जलयुक्त शिवार 2.0 एक साझेदारी का प्रयास है जो विभिन्न विभागों द्वारा लागू की गई विभिन्न योजनाओं को एकत्र करता है। यह दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है कि जल संरक्षण की दिशा में समृद्धि और संघटित प्रयास होता है।
  2. वित्तीय रणनीति: परियोजना एक अद्वितीय वित्तीय रणनीति अपनाती है जिससे केंद्रीय और राज्य योजनाओं से संसाधनों को एकत्र करने की क्षमता बढ़ती है। यह वित्तीय सहयोग प्रबंधन के साथ संबंधित चुनौतियों का सामना करने की क्षमता को बढ़ाता है।
  3. तकनीकी हस्तक्षेप: परियोजना स्थानों को मैप करने के लिए एक मोबाइल ऐप का उपयोग किया जाता है, और मॉनिटरिंग महाराष्ट्र रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन्स सेंटर (MRSAC) वेब पोर्टल के माध्यम से सुविधा प्रदान की जाती है। यह तकनीकी एकीकरण ट्रैंसपैरेंसी, जवाबदेही, और परियोजना गतिविधियों की वास्तविक समय में ट्रैकिंग को बढ़ाता है।

जागरूकता अभियान:

जागरूकता बढ़ाना, जलयुक्त शिवार 2.0 योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सरकार जानकारी प्रसारित करने के लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग करती है:

  1. ग्राम सभा और गाँव स्तर पर मीटिंग: ग्राम सभा और गाँव स्तर की मीटिंग के माध्यम से स्थानीय सहभागिता, जानकारी प्रसारित करने और समुदाय समर्थन जुटाने का एक आधारभूत दृष्टिकोण है।
  2. रचनात्मक प्रतियोगिताएं: सुबह के रैली, निबंध प्रतियोगिता, और ड्रॉइंग प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं ताकि युवा पीढ़ी को संजीवनी की तरह जल संरक्षण अभ्यासों की अधिक स्थायी समझ हो।
  3. शिक्षात्मक सामग्री का वितरण: जलयुक्त शिवार 2.0 के बारे में बुकलेट्स और लीफलेट्स को घरों, स्कूलों, और समुदाय केंद्रों में वितरित किया जाता है। यह शिक्षात्मक सामग्री एक त्वरित संदर्भ गाइड के रूप में कार्य करती है, परियोजना के उद्देश्यों की गहरी समझ को बढ़ावा देती है।
  4. मीडिया संपर्क: सरकार प्रेस और टीवी का सफलता से उपयोग करती है ताकि विशाल दर्शकों के साथ प्रभावी रूप से संवाद किया जा सके। इसमें परियोजना की सफलता की कहानियों, प्रगति अपडेट्स, और परियोजना के स्थानीय समुदायों पर प्रभाव की प्रस्तुति शामिल है।

गाँव चयन के लिए मापदंड:

जलयुक्त शिवार 2.0 में शामिल किए जाने वाले गाँवों के चयन प्रक्रिया को सावधानी से किया जाता है और विभिन्न कारकों को ध्यान में रखता है:

  1. टैंकर-सहारित गाँव: उन गाँवों को प्राथमिकता दी जाती है जो पिछले पाँच वर्षों में कम से कम एक वर्ष तक टैंकर से पोषण प्राप्त करते रहे हैं। इससे सुनिश्चित होता है कि ऐसे क्षेत्रों को तत्काल ध्यान मिलता है जो अत्यंत जल कमी का सामना कर रहे हैं।
  2. वॉटरशेड गाँव: चयन में उन गाँवों को शामिल किया जाता है जो जल संचार और भंडारण को अनुकूलित करने के लिए समुचित स्थिति में हैं। इसके अलावा, वे गाँव जो पिछले पाँच वर्षों में कम से कम एक बार जल कमी की स्थिति में थे, को शामिल किया जाता है।
  3. आत्महत्या-प्रवृत्ति गाँव: ध्यानपूर्वक वे गाँव जिनमें किसानों की आत्महत्या का इतिहास है, को विशेष ध्यान दिया जाता है, जिससे कि केवल जल कमी के ही नहीं, बल्कि इन समुदायों को उपेक्षित होने वाली सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का भी सामना किया जा सके।
  4. लोगों की सहभागिता: वह गाँव जो जल संरक्षण पहलुओं में सकारात्मक समुदाय भागीदारी और नेतृत्व दिखा रहे हैं, को प्राथमिकता दी जाती है। यह दृष्टिकोण समुदाय में स्वामित्व और स्थायिता को बढ़ावा देता है।

निष्कर्ष:

जलयुक्त शिवार 2.0 पूर्व अनुभवों पर निर्मित हो रहा है और एक साझेदार, बहुपक्षीय जल संरक्षण के प्रति उत्कृष्ट दृष्टिकोण अपना रहा है। तकनीक को समाहित करने, समुदाय सहभागिता को बढ़ावा देने, और गाँव चयन के लिए विशेष मापदंडों का समाधान करने के माध्यम से, परियोजना महाराष्ट्र के गाँवों के लिए जल सुरक्षा सुनिश्चित करने का लक्ष्य है। जब यह योजना आगे बढ़ती है, तो यह एक आशा का प्रतीक बनती है, जो दिखाती है कि सहयोगी प्रयासों, समुदाय सहभागिता, और नवाचारी रणनीतियों के माध्यम से सतत जल प्रबंधन संभव है।

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